Saturday, March 7, 2009
कब है होली !
मैंने देखा एक सिनेमा देखने लायक ;
जिसमें था एक कमीना ,
कहते जिसको खलनायक
हरदम दम करता एक सवाल ;
कब है होली ,कब है होली !
खून का रंग बहेगा उस दिन ;
बंदूकों से चलेगी गोली
एक था ठाकुर बलदेव सिंह ;
जिसके हाथ गब्बर ने काटे थे ,
जिसके बगिया में कांटे ही कांटे थे ,
शोले के बनने के ३३ साल बाद भी;
जीवंत है प्रश्न आज भी ;
कब है होली ,कब है होली !
होली नाम है सारे दुर्गुण मिटाने का ;
जग में भक्ति भाव बढ़ाने का ;
सब कुछ भुला कर सबको गले लगाने का !
क्या आपने देखी है ऐसी होली ;
भूख की किलकारी की जगह पिचकारी ;
बंदूख की जगह भंग की गोली ;
सब के दिल मिलें ,मीठी हो बोली ;
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख ,इसाई
सब मिल खेलें जग में होली;
कहत विनय बोल मेरे बन्धु ;
कब कब है होली , कब कब है होली !!
~विनयतोष मिश्र
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