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Wednesday, March 4, 2009

तुम जो कहो.......

तुम जो कहो उसे प्रकाशित कर दूँ अपने सर्वस्व को तुम पर न्योछावर कर दूँ अपनी समस्त ऊर्जा को विश्रित कर दूँ तुम जो कहो अपने स्पर्श से तुझे उष्मित कर दूँ तेरे दर्द को ओढ़कर ख़ुद को धन्य कर दूँ तुम जो कहो तुझ पर जीवन अर्पण कर दूँ तेरे चेहरे का गुलाल और लाल कर दूँ दमकते सूरज को निहाल कर दूँ तुम जो कहो दिन हो या रात धुप हो या छांव तेरे कदमों में सर रख दूँ तुम जो कहो

1 comment:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

isko kahate hain samrpan or samrpan ka matlab hai payar, sneh, narayan narayan

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