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Thursday, March 5, 2009

Bahut Khubsurat ho tum

बहूत खूबसूरत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम ! कभी मैं जो कह दूं मोहब्बत है तुम से ! तो मुझको खुदारा गलत मत समझना ! के मेरी जरुरत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम ! है फ़ुलों की डाली, ये बाहें तुम्हारी ! है खामोश जादू निगाहें तुम्हारी ! जो काटें हों सब अपने दामन में भर लूं ! सजाउं मैं इनसे राहें तुम्हारी ! नज़र से जमाने की खुद को बचाना ! किसी और से देखो दिल न लगाना ! के मेरी अमानत हो तुम ! बहुत खूबसूरत हो तुम ! है चेहरा तुम्हारा के दिन है सुनेहरा ! और उस पर ये काली घटाओं का पेहरा ! गुलाबों से नाजु़क मेहकता बदन है ! ये लब है तुम्हारा के खिलता चमन है ! बिखेरो जो जु़ल्फ़ें तो शरमाये बादल ! ये ताहिर भी देखे तो हो जाये पागल ! वो पाकीजा़ मुरत हो तुम ! बहुत खूबसूरत हो तुम ! मोहब्बत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम ! जो बन के कली मुस्कूराती है अक्सर ! शबे हिज्र मैं जो रुलाती है अक्सर ! जो लम्हों ही लम्हों मे दुनिया बदल दे ! जो शायर को दे जाये पेहलु ग़ज़ल की ! छुपाना जो चाहे छुपाई न जाये ! भुलाना जो चाहे भुलाई न जाये ! वो पेहली मोहब्बत हो तुम ! बहुत खूबसूरत हो तुम Rittwick Visen

1 comment:

Asha Joglekar said...

बेहद खूबसूरत नज्म ।

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