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Friday, March 6, 2009

खामोश नजरें....

वो खामोश नजरें अपलक निहारती जीवन के तरंग मन में उमंग उमड़ पड़ती नजरों का दोष नही कुछ और है हालात ऐसे सहम जाता आखें भी कराहती
खामोश नजरें अपलक निहारती कभी सुखी ,कभी भींगी वो आँखें किसी की याद दिलाती मै अनजान राही देखता रहा कुछ न समझा वो आँखे पास बुलाती खामोश नजरें अपलक निहारती आस पास एकदम शांत कुछ न पता दिन या रात आँखें भर आई मोती की कुछ बूंदें धरती पर टपक आई वो खामोश नजरें अपलक निहारती

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