Tuesday, March 31, 2009
ऐसे फनकार बिरले पैदा होते है ....
Monday, March 30, 2009
नीरजा बनी इंडियन वूमन प्रेस कोर की अध्यक्षा
अफसर के कुत्ते का मरना
Sunday, March 29, 2009
उर्दू एंकर के लिये ऑडिशन
Saturday, March 28, 2009
वरुण गाँधी की टीआरपी
Friday, March 27, 2009
पाक घुसपैठिये आतंकवादी थे
Wednesday, March 25, 2009
इसे कहते है बरगलाना ...
Tuesday, March 24, 2009
जो हिंदू विरोधी बात करेगा....
Monday, March 23, 2009
शहीदों को नमन करने का दिन
Sunday, March 22, 2009
बॉर्डर पर दो पाक युवक बीएसफ ने मर गिराए
Saturday, March 21, 2009
है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है ....
है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है ..... यह कथन मुझे रात में याद आ रहा था । रात में बिजली चली गई थी , कुछ पढ़ने का मन भी कर रहा था पर आलस की वजह से बाहर जाकर मोमबती लाने में कतरा रहा था । तभी दिमाग में यह बिचार आया और भाग कर मोमबती लेने चला गया । बिजली काफी देर तक नही आई .... इसी बिच मैंने कुछ पढ़ लिया ।
यह एक छोटी सी घटना है । पर इसका अर्थ काफी बड़ा है । जीवन में कई ऐसे मौके आते है जब हम अँधेरी रात का बहाना बना काम को छोड़ देते है । माना की समाज के सामने चुनौतिया ज्यादा है और समाधान कम । तो क्या हुआ ? यह कोई नई बात तो है नही .... हमेशा से ऐसा ही होता रहा है । आम आदमी की चिंता करने वाले काफी कम लोग है । गरीबों के आंसू पोछने वाले ज्यादातर नकली है ... तो क्या हुआ , आपको कौन मना कर रहा है की आप असली हमदर्द न बने । मै समझता हूँ की यह ख़ुद को धोखा देने वाली बात हुई । एक चिंगारी तो जलाई ही जा सकती है .... इसके लिए किसी का मुंह देखने की जरुरत नही है । परिस्थितिओं का रोना रो रो कर तो हम बरबाद हो चुके है । अब और नही ..... यह शब्द दिल से जुबान पर आना ही चाहिए ।
सोचता हूँ , अँधेरी रात का बहाना हम अपनी कमियों को छिपाने के लिए बनाते है .... औरो का तो नही पता पर मै इस काम में माहिर हूँ । ये बड़ी शर्म की बात है .... जीवन को अर्थहीन बनाने में इसका बड़ा योगदान रहा है । पर अब एक मकसद मिल गया है ..... दीपक तो जलाना ही पड़ेगा ।
इस सड़क पर इस कदर कीचड़ बिछी है
हर किसी का पाँव घुटनों तक सना है .......
यह सही है की घुटनों तक कीचड़ सना है .... भ्रष्टाचार का बोलबाला है । पर किसी न किसी को तो कीचड़ साफ़ करना ही पड़ेगा और वह हम ही क्यों न हो .... किसी ने रोका तो नही है न ....कांग्रेस बीजेपी करे तालमेल
Thursday, March 19, 2009
चित्त भी मेरी पट्ट भी, सिक्का मेरे बाप का
Wednesday, March 18, 2009
हम आजाद हुए थे आधी रात को और सबेरा अभी तक नही हुआ ...
परिपक्व कौन? पाकिस्तानी या हिन्दुस्तानी
Tuesday, March 17, 2009
सबकुछ याद है
Sunday, March 15, 2009
.....अभी बाकी है
Saturday, March 14, 2009
फैसला जान के रहिये ।
Friday, March 13, 2009
ये जख्म गहरा है..
ये जख्म गहरा है कोई मरहम दे दे । मेरी प्यास है बड़ी कोई सागर दे दे । तिल तिल कर मर रहा कोई एक उमर दे दे । अँधेरा गहरा रहा कोई चाँद की नजर दे दे । ये जख्म गहरा है कोई मरहम दे दे ।