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Tuesday, July 22, 2008

सियासत ... सौदे ........ और सवाल ?


एक बार फिर संसद शर्मसार हुई। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र फिर से दुनिया के सामने नंगा हो कर खडा हो गया। हालांकि यह पहली बार नही की भारत की संसद में कोई शर्मिंदा कर देने वाली कोई घटना घटी हो पर जिस तरह ये सब हुआ, शायद देश हमारे नेताओं को कभी माफ़ नहीं कर पाएगा।
हुआ यह की सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान लगातार विपक्ष की ओर से सरकार पर सांसदों की खरीद फरोख्त के आरोप लगे, जिसके जवाब में प्रधानमन्त्री ने कहा की सबूत पेश करें और जवाब में भाजपा के तीन सांसद लोक सभा के अन्दर आए और पूरे देश के सामने ( लाइव ) निकाल कर रख दिए नोटों के बण्डल और चिल्ला कर कहा की ये उन्हें घूस के तौर पर दिए गए।
हो सकता है की ये रूपए उनको दिए गए हो, या फिर ना भी दिए गए हों पर दुर्भाग्य ये रहा कि ये सब देश की गरिमा की प्रतीक भारतीय संसद के अन्दर हुआ। हम सब जानते हैं कि ये सब जोड़ तोड़ होती है पर शायद कभी सोचा नही था कि ये सब टीवी पर लाइव देखने पर मिलेगा।
इधर भाजपा के सांसद अमर सिंह और अहमद पटेल पर घूस देने का आरोप लगा रहे हैं तो अमर सिंह, मुलायम सिंह और कांग्रेस सफाई देने में जुट गई है .................................... टीवी चैनलों को साल का सबसे बड़ा मसाला मिल गया है और आम आदमी परेशान है कि इन लोगों को उसने देश की रक्षा और उत्थान के लिए चुन कर भेजा है ?
अभी हाल ही में एक टीवी न्यूज़ चैनल ज्वाइन किया है और आज की बड़ी ख़बर पर लोगों का चेहरा खिला है कि आज टी आर पी का दिन है पर मेरा जी कुछ भारी हो रहा है। देख कर सोच रहा हूँ कि दुनिया शायद बहुत प्रोफेशनल हो गई है। कल के दुश्मन आज के दोस्त ....... और कल के भाई आज ..................... क्या मतलब इतना मतलबी बना देता है ?
कहीं हम सब ऐसे हो गए हैं क्या ?
क्या सच हमेशा इतना ही कड़वा होता है ?
बशीर बद्र साहब के कुछ शेर याद आ गए हैं तो रख ही देता हूँ .....
जी बहुत चाहता है सच बोलें क्या करें हौसला नहीं होता ।

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुँजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिन्दा न हों ।

वो बड़े सलीके से झूठ बोलते रहे
मैं ऐतबार ना करता तो और क्या करता

कभी सोचा नहीं था कि हमारे प्रतिनिधि देश के विकास के प्रतिरोधक बन जाएँगे ........... क्या दुर्भाग्य वाकई इतना दुर्भाग्यशाली होता है ?
...................................................
मयंक सक्सेना
mailmayanksaxena@gmail.com

3 comments:

seema gupta said...

वो बड़े सलीके से झूठ बोलते रहे
मैं ऐतबार ना करता तो और क्या करता
"very true, nicely decsribed, nothing can be more painful than this"

Asha Joglekar said...

Very true.

zeashan haider zaidi said...

जंगे-आज़ादी में हिस्सा लेने वाले सिपाहियों की आत्मांयें इस दौर को देखकर कितनी बेचैन होंगी. कितनी मेहनत से इस देश को बचाया गया था. अब अपने ही लोग इसे बेच खा रहे हैं.

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