" आज फिर"
आज फिर ये दो अखीयाँ भर आयी है,
आज फिर तेरी याद चली आयी है .
आज फिर तेरी याद चली आयी है .
दिल ने कहा ताजा कर लें वो सारे गम,
आज फिर हमने जख्मों की किताब उठाई है.
आज फिर हमने जख्मों की किताब उठाई है.
लबों ने चाहा कर लें खामोशी से बातें हम,
आज फिर हमने अपनी तबीयत बेहलाई है.
आज फिर हमने अपनी तबीयत बेहलाई है.
नज़र मचल गई है एक दीदार को तेरे
आज फिर तेरी तस्वीर नज़र आयी है.
आज फिर तेरी तस्वीर नज़र आयी है.
रहा नही वायदों और वफाओं का वजूद कोई,
आज फिर हर एक चोट उभर आयी है.
आज फिर हर एक चोट उभर आयी है.
आज फिर ये दो अखीयाँ भर आयी है,
आज फिर तेरी याद चली आयी है .
आज फिर तेरी याद चली आयी है .
आज फिर हमने चाहा करें टूट कर प्यार तुम्हे ,
आज फिर दिल म वही आग सुलग आयी है.
आज फिर दिल म वही आग सुलग आयी है.
आज फिर ये दो अखीयाँ भर आयी है,
आज फिर तेरी याद चली आयी है .
4 comments:
मन की संवेदनाओं को बहुत बढिया प्रस्तुत किया है।
दिल ने कहा ताजा कर लें वो सारे गम,
आज फिर हमने जख्मों की किताब उठाई है.
लबों ने चाहा कर लें खामोशी से बातें हम,
आज फिर हमने अपनी तबीयत बेहलाई है.
bahut badhiya.....
आज फिर हमने चाहा करें टूट कर प्यार तुम्हे ,
आज फिर दिल म वही आग सुलग आयी है.
Bahut khoobsoorat sher hai.
Ms Gupta, probably won't have the exact words to express how beautiful poem it is.. It indeed is
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