Friday, July 18, 2008
बदल रहा है जमाना
बदल रहे है रास्ते बदल रहे है लोग
इंसानियत की दहलीज़ से गिर रहे है लोग
वक़्त की नजाकत भी देखिये क्या खूब है
नाम राम और खुदा का लिए खंजर संभाले चल रहे है लोग
बदलते ज़माने मैं कितने बदल गए है लोग
अपनी सरजमी पे मिली विरासत की एकता को भूल गए है लोग
कितनी जद्दो जेहद मैं फस गए है लोग
अपनी ही दोस्ती को भूल गए है लोग
जिधर देखो ऋत्विक दिल मैं नफरत की आंधी लिए चल रहे है लोग
इस गहरी अंधी खाई मैं गिर रहे है लोग
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2 comments:
कितनी जद्दो जेहद मैं फस गए है लोग
अपनी ही दोस्ती को भूल गए है लोग
"bhut sunder"
You have described the very truth. Keep it up
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