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Thursday, July 17, 2008


"हो जाने दो "

ना छुपाओ अपने वजूद को इस जमाने से ,
की ,दुनिया मे ख़ुद की पहचान हो जाने दो.
आईना हूँ , तेरा त्स्सब्बुर नज़र आऊंगा ,
की , मुझे अपने अक्स मे एक बार ढल जाने दो.
मोहब्बत गुनाह ही सही, पर खूबसूरत तो है ,
की , इश्क मे आज अपने बदनाम हो जाने दो.
दिल की धड़कन , शोला -ऐ - एहसास ही सही
की , इस आग मे आज मुझको जल जाने दो.
हाँ, मोहब्बत है मुझसे , ये इकरार कर लो
की , अपने आगोश मे मुझको बिखर जाने दो .....

5 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है।
ना छुपाओ अपने वजूद को इस जमाने से ,
की ,दुनिया मे ख़ुद की पहचान हो जाने दो

रंजू भाटिया said...

मोहब्बत गुनाह ही सही, पर खूबसूरत तो है ,

बहुत खूब

ilesh said...

मुझे अपने अक्स मे एक बार ढल जाने दो.

wah ji wah ek hi vakya me bahot kuchh mang liya aapne aksh dil ke aanganse aate he jab jajbaat behne lagte he.....

मोहब्बत गुनाह ही सही, पर खूबसूरत तो है
,
Moabbat gunah?? nahi ji mohabbat vo pavitra ehsas he ki kisi bhi surat me vo gunah nahi ho sakta...

इश्क मे आज अपने बदनाम हो जाने दो.

bahot hi badhiya likha he aapne simmi ji...mohabbat ki gehrai ko bahot achhi tarha aapne naap liya is khubsurat kalaam me....

डॉ .अनुराग said...

दिल की धड़कन , शोला -ऐ - एहसास ही सही
की , इस आग मे आज मुझको जल जाने दो.
हाँ, मोहब्बत है मुझसे , ये इकरार कर लो
की , अपने आगोश मे मुझको बिखर जाने दो .....

bahut khoob......

Rittwick said...

बहुत सुन्दर रचना है

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