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Friday, May 8, 2009

तो बेहतर था......

सूखे सुखन के फेर में तुम जो न पड़ते तो बेहतर था,

गालिबन इतनी सुथरी ग़ज़लें न गढ़ते तो बेहतर था;

फाकामस्ती रंग तो लायी, अंदाज़-ए-बयां और हुआ,

तुम ने जो शेर पढ़े अच्छा लगा, साइंस पढ़ते तो बेहतर था!!

1 comment:

Asha Joglekar said...

गालिब को साइंस पडने का मशवरा क्या बात है ।

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