सूखे सुखन के फेर में तुम जो न पड़ते तो बेहतर था,
गालिबन इतनी सुथरी ग़ज़लें न गढ़ते तो बेहतर था;
फाकामस्ती रंग तो लायी, अंदाज़-ए-बयां और हुआ,
तुम ने जो शेर पढ़े अच्छा लगा, साइंस पढ़ते तो बेहतर था!!
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1 comment:
गालिब को साइंस पडने का मशवरा क्या बात है ।
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