का बताई की मामा केतनी पीर है...... ।
सूखि फागुन गवा हो लाली गई,
आखिया सावन के बदरा सी बरसा करे ,
राह देखा करी निंदिया वैरन भई -
रतिया बीते नही जस कठिन चीर है।
का बताई की मामा केतनी पीर है...... ।
कान सुनिवे का गुन अखिया दर्शन चहै,
साँसे है आखिरी मौन मिलिवे कहै,
तुम्हरे कारन विसरि सारी दुनिया गई-
ऐसे अब्नाओ जस की दया नीर है।
का बताई की मामा केतनी पीर है...... ।
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '
लेबल: गीत चंदेल
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