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Sunday, May 31, 2009

लोकसंघर्ष !: माँ

जब छोटा था तब माँ की शैया गीली करता था। अब बड़ा हुआ तो माँ की आँखें गीली करता हूँ ॥ माँ पहले जब आंसू आते थे तब तुम याद आती थी। आज तुम याद आती हो....... तो पलकों से आंसू छलकते है....... ॥ जिन बेटो के जन्म पर माँ -बाप ने हँसी खुशी मिठाई बांटी । वही बेटे जवान होकर आज माँ-बाप को बांटे ...... ॥ लड़की घर छोडे और अब लड़का मुहँ मोडे ........... । माँ-बाप की करुण आँखों में बिखरे हुए ख्वाबो की माला टूटे ॥ चार वर्ष का तेर लाडला ,रखे तेरे प्रेम की आस। साथ साल के तेरे माँ-बाप क्यों न रखे प्रेम की प्यास ? जिस मुन्ने को माँ-बाप बोलना सिखाएं ......... । वही मुन्ना माँ-बाप को बड़ा होकर चुप कराए ॥ पत्नी पसंद से मिल सकती है .......... माँ पुण्य से ही मिलती है । पसंद से मिलने वाली के लिए,पुण्य से मिलने वाली माँ को मत ठुकराना....... ॥ अपने पाँच बेटे जिसे लगे नही भारी ......... वह है माँ । बेटो की पाँच थालियों में क्यों अपने लिए ढूंढें दाना ॥ माँ-बाप की आँखों से आए आंसू गवाह है। एक दिन तुझे भी ये सब सहना है॥ घर की देवी को छोड़ मूर्ख । पत्थर पर चुनरी ओढ़ने क्यों जन है.... ॥ जीवन की संध्या में आज तू उसके साथ रह ले । जाते हुए साए का तू आज आशीष ले ले ॥ उसके अंधेरे पथ में सूरज बनकर रौशनी कर। चार दिन और जीने की चाह की चाह उसमें निर्माण कर ....... ॥
तू ने माँ का दूध पिया है .............. ।
उसका फर्ज अदा कर .................. ।
उसका कर्ज अदा कर ................... । -अनूप गोयल

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