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Monday, August 25, 2008

"आवारा"

"आवारा"
मायूसियां थीं मेरे दिल में, एक उदासी की तरह , जुस्तुजू में मैं तेरी, होने लगा आवारा ; चारा गर बन के, तेरे प्यार ने हिम्मत बांधी, राहबर हो के सियाह रात में, तू ही है चमकता तारा ; अब तेरी चाह में, दिन रात रहा करता हूँ, पहले यूँ रहा करता था अब यूँ रहता हूँ आवारा

2 comments:

शोभा said...

अब तेरी चाह में,
दिन रात रहा करता हूँ,
पहले यूँ रहा करता था
अब यूँ रहता हूँ आवारा
सुन्दर लिखा है।

संगीता पुरी said...

बहुत अच्छा लिखा है।

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