"आवारा"
मायूसियां थीं मेरे दिल में,
एक उदासी की तरह ,
जुस्तुजू में मैं तेरी,
होने लगा आवारा ;
चारा गर बन के,
तेरे प्यार ने हिम्मत बांधी,
राहबर हो के सियाह रात में,
तू ही है चमकता तारा ;
अब तेरी चाह में,
दिन रात रहा करता हूँ,
पहले यूँ रहा करता था
अब यूँ रहता हूँ आवारा
2 comments:
अब तेरी चाह में,
दिन रात रहा करता हूँ,
पहले यूँ रहा करता था
अब यूँ रहता हूँ आवारा
सुन्दर लिखा है।
बहुत अच्छा लिखा है।
Post a Comment