रंगकर्मी परिवार मे आपका स्वागत है। सदस्यता और राय के लिये हमें मेल करें- humrangkarmi@gmail.com

Website templates

Wednesday, August 6, 2008

जब तक न छेद हो

जब तक न छेद हो जल रिसता नही है जब तक न भेद हो किला ढहता नही है जब तक न फूट हो घर नही टूटता जब तक न शुबह हो छूटता हाथ नही है दुश्मन को माफ करना है अपना कतल ही सांप से तो डसना कभी छूटा नही है घर अपना बचाना तो मालिक का काम है औरों के भरोसे तो इसे होना नही है घर अपना मानते हो, बचालें इसे मिलकर किसी एक के बस का ये काम दिखता नही है ।

2 comments:

श्रद्धा जैन said...

Asha ji aapki bhaut bhaav pradhaan gazal padhi
bhaut achha laga
jab tak bhed na ho kil adhata nahi bhaut achhi baat kahi hai aapne

मधुकर राजपूत said...

आपने इन पंक्तिययों में देश काल वातावरण पर कटाक्ष के साथ ही अंतत: सीख भी दी है। एकजुटता का अच्छा आह्वान है। कृति उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद।

सुरक्षा अस्त्र

Text selection Lock by Hindi Blog Tips