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Friday, February 20, 2009

दूरियाँ

दूरियाँ बहुत है न हम दोनों में जानते है रोज रात चाँद चुपके से रोता है उसके अश्को की चाँदनी हमारे हथेली पर सूखती है .........

1 comment:

mark rai said...

रोज रात चाँद चुपके से रोता है ....
this is real beauty

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