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शमा को जलना और पिघलना होगा
किसी को महसूस हो अपनापन
तो जज्बातों को दिल से निकलना होगा
कामयाबी करनी है हासिल अंधेरों में
शमा को जलना और पिघलना होगा
तूफानों को पहचानना सिख लेना
वक्त रहते हवाओं का रुख बदलना होगा
फूलों में महक सजी रहती है हमेशा
काँटों से उँगलियों को संभालना होगा
2 comments:
bahut hi gambhir bat kahi saduvad
Sunder.
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