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Sunday, February 15, 2009

मिलन का क्षण

अनबुझ प्यास प्रेम की आस मिलन का क्षण । प्यासी धरती कहीं दरकी तृषार्त मन । बादल घनघोर छाये चहुँ और आया सावन । बूंदें टपटप बने धार अब भीगे तनमन । तृप्त हुई देह मन मे भरा नेह प्रमुदित आनन

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