अनबुझ प्यास
प्रेम की आस
मिलन का क्षण ।
प्यासी धरती
कहीं दरकी
तृषार्त मन ।
बादल घनघोर
छाये चहुँ और
आया सावन ।
बूंदें टपटप
बने धार अब
भीगे तनमन ।
तृप्त हुई देह
मन मे भरा नेह
प्रमुदित आनन
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