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Sunday, October 25, 2009

आशीष खंडेलवाल जी की ताजा पोस्ट के लिए

गूगल, यूं हिंदुस्तानियों के साथ खिलवाड़ न करो

शान्ति साम्राज्यवाद की मौत हैयुद्घ उसका जीवन है, विश्व में दो विश्व युद्घ लड़े गए है और दोनों ही साम्राज्यवादियों की धरती पर ही लड़े गए है दूसरे विश्व युद्घ के बाद साम्राज्यवादियों ने तय यह किया था कि अपनी धरती पर युद्घ नही लड़ना हैविश्व आर्थिक मंदी से निपटने के लिए साम्राज्यवादियों को युद्घ चाहिए इसके लिए एशिया में बड़े-बड़े प्रयोग किए जा रहे है और उनकी सारी ताकत एशिया की प्राकृतिक सम्पदा को लूट घसोट करने में लगी हैउनकी मुख्य विरोधी शक्तियां ईरान, उत्तर कोरिया, वियतनाम है और मुख्य प्रतिद्वंदी चीन हैईरान के रेवोलुशनरी गार्ड्स मुख्यालय पर आत्मघाती हमला हो चुका हैचीन भारत का युद्घ वह चाहते है । इसके लिए तरह-तरह की गोटियाँ चली जा रही हैउनके तनखैया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के लोग तरह-तरह की अफवाहबाजी उडा, भ्रम फैला कर युद्घ का माहौल तैयार कर रहे हैउसी का यह एक हिस्सा हैईराक में परमाणु हथियारों के सवाल को लेकर ईराक को तबाह किया गयाआज इराक़ में लाखो औरतें विधवा है . जिनके खाने और कमाने का कोई जरिया नही है , शिक्षा और स्वास्थ्य नाम की कोई चीज नही बची हैसाम्राज्यवादी ताकतें ईराक की प्राकृतिक सम्पदा को लूट रही है वही स्तिथि चीन और भारत का युद्घ करा कर यह ताकतें यहाँ की प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करना चाहती हैयह जो कुछ हो रहा है वह सोची समझी रणनीति का हिस्सा हैहमारे अरुणांचल , जम्मू और कश्मीर को चीन का हिस्सा दिखा कर लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है ताकि युद्घ का उन्माद पैदा होजो ताकतें यह हरकत कर रही है वह उनकी रणनीति का हिस्सा हैपूंजीवादी व्यवस्था में कोई चीज दान की नही होती हैमुनाफा और लाभ ही उनका धर्म हैये अपने अविष्कारों में हिस्सा देकर लाभ कमाते है । हमको अपनी मेहनत और श्रम का हिस्सा क्या उनके लाभ से हमको नही मिलता है ? हो सकता है उनकी योजना सफल हो तो भारतीय नक्शे में बीजिंग और इस्लामाबाद को दर्शाना शुरू कर दें
सादर सुमन loksangharsha.blogspot.com

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

आप ने एक सच लिखा है अपने इस लेख मै, अमेरिका को चाहिये पेसा, लेकिन कहां से आये, जब उस के हाथियार बिके गे तभी तो पेसा आयेगा, अब हाथियार कोन खरीदे ? जब कि अमेरिका ओर उस के चम्मचो के देशओ को छोड कर चारो ओर शांति है... तो लडवा दो... बेकार के पंगे डल कर खींचो टांगे...
आप ने बहुत सुंदर बात कही.
धन्यवद

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