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Wednesday, May 7, 2008

स्पर्श ज़िन्दगी का ....

रफ्ता - रफ्ता बातो की कडिया जुडी ज़िन्दगी अपना वेग तेज हवा में ले उडी जमी पर अब पाओ कंहा रहे गीतों की नदिया जैसे बह चली परिचय हुआ मात्र धडकनों की चहातो का पर स्पर्श जैसे अपना ज़िन्दगी से हो गया.... कीर्ती वैद्य....1st April 2008

2 comments:

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर कीर्ती जी

Keerti Vaidya said...

thanxs didi

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