Thursday, April 17, 2008
तिब्बतीयों को आजादी कब मिलेगी.............
तकरीबन २ महीने से हमारे पड़ोसी देश तिब्बत के हालात काफी नाजुक दौर से गुजर रहे है। चीन की अति दमनकारी नीति से वहां के सारे नागरिक परेशान है। तिब्बत अब आजादी चाहता है..... और भारत में उसी विद्रोह की झलक हम हर दिन देख रहे है..... लेकिन कल पहली बार मैं तिब्बतियों का विरोध प्रदर्शन कवर करने गई थी..... पर वहां पर जो देखा वो शायद मैने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा था .... जंतर मंतर पर चल रहा विरोध प्रदर्शन था तो शांतिपूर्ण.... लेकिन वहां पर लगे हर पोस्टर में छिपे थे उनकी दर्द की वो कहानी जो बिना बोले सब कुछ बयां कर रही थी...... किसी का सर नहीं था तो किसी का हाथ नहीं कोई फटे कपड़ो में था तो कोई पूरी तरह से नग्न...छोटा बच्चा खून से लथपथ अपनी मां के पेट पर रो रहा था.... आकिर उस छोटे बच्चें से क्या दुशमनी थी.......क्या दुनिया एक मानव समाज है उस तिब्बती महिला की दास्ता सुनकर तो अब ऐसा नहीं लगता है..... यहीं पर एक महिला ने मुझे बताया कि ये जो आप देख रही है वो तो कुछ नहीं है चीन में तो दुध मुहें बच्चों का तंदुर में पका कर चिकन की तरह खा जाते है। इंसान और जानवर में कोई फर्क न रहा। ये संघर्ष कब खत्म होगा..... तिब्बत को आजादी कब मिलेगी.... तिब्बत को आजादी न मिलने का मतलब भारत के लिए भी मुश्किले बढ़ना है....... । मैं खुले तौर पर तिब्बतियों का समर्थन करती हूं आप क्या सोचते है इस बारे में जरूर लिखे ।
तूलिका सिंह
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3 comments:
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sahi kha apney
तूलिका, अभी हाल ही में मेरा लेह- लद्दाख जाना
हुआ था। वहां पर मैने सभी लद्दाखियों को ये ही
कहते सुना कि चीन की दमन कारी नीतियों के
आगे भारत सरकार ने घुटने टेक रखे हैं।
और इसी कारण तिब्बतियों पर अकारण ही
ज़ुल्म किये जा रहे हैं। इस विषय पर मैने
उन लोगो से काफ़ी विस्तार पूर्वक बात की तो जाना
कि सभी तिब्बती भारत के काफ़ी करीबी हैं और
चीन को अपना सबसे बडा दुश्मन समझते हैं।
लद्दाख में भी मैने ऐसे लोग देखे जिन्होने
चीन के खिलाफ़ विरोध के स्वर उंचे तो किये हैं
लेकिन बेहद शांति पूर्ण तरीके से।
निश्चित ही भारत चीन के आगे कुछ नही कर पा रहा है। इस विषय पर बात करना भी उसे गवारा नही।
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