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Tuesday, March 18, 2008

होली है ?

मुझी को देकर गालियाँ कहते हैं वो कि होली है गज़ल के बीच तालियाँ बजाते हैं वो कि होली है मेरे शेरों को चुरा, खुद के नाम से कहते हैं वो मैं अगर कर दूँ सवाल सुनाते हैं वो कि होली है मेरे घर आकर के अक्सर खाते हैं वो मिठाइयाँ मैं जो उनके घर गया कहते हैं वो कि होली है मेरी महबूबा के रुख पर मल देते हैं रंग और गुलाल मै जो भाभी को रंग दूँ तो, पूछें ये कैसी होली है हम तो ऐसी दोस्ती से बाज़ आये हैं जनाब ये न कहिये, छोडिये डालिये खाक, होली है

2 comments:

Keerti Vaidya said...

holi shabd suntey he samjh gay the ke Asha di post hai....

kavita ase jaise sach ek parivaar ka drishya....

happy holi to u & ur family..

Asha Joglekar said...

Keerti ji Aapke comments ke liye dhnyawad. Holi aapko bhi mubarak aur anya Rang karmiyon ko bhee.

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