Thursday, March 13, 2008
जब हम मिल जाएँगे.....
हाँ, इक दिन वो आयेगा
जब हम मिलेंगे...
इक गर्म चाय के संग,
हम बातो मैं घुल जाएँगे.
कुर्मुरे चिप्स चटकाते,
करीब थोरा ओर आ जाएँगे.
कोसी-कोसी धुप तले,
प्रेम-प्रीत में भर जाएँगे
ठंडे पानी के गिलास संग,
मीठे सपने संजो लेंगे.
तंग भरी सड़क पे चलते-चलते,
हम भि ज़िन्दगी को पकड़ लेंगे.
भुट्टे पे नींबू-मसाला चख
अपना भि घर बसा लेंगे
हाँ, इक दिन वो आयेगा आयेगा
जब हम मिल जाएँगे.....
कीर्ती वैद्य.....
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13 comments:
बढिया रचना है।बधाई।
अच्छा है । अचानक यहां आ गये । वो कहते हैं ना स्टम्बल्ड अपऑन । अपने ब्लॉग को ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत से जोड़ें ताकि हिंदी जगत में इसकी चर्चा हो । blogvani.com
बहुत सुंदर रचना है।
aap sabhi ka shukriya....
kamaal ki abhivyakti hai, ek sukhad ahsaas hua padh kar...bhavishya ujjawal hai aapka
manish
kamal ki rachana hai..... jitani sarahana ki jaye kam hai... keep it up ....
shukriya MOnu Ji & Satyander ji
हमेशा की तरह बढिया है.... आपकी कलम का जादू यूं ही चलता रहे... इसी कामना के साथ...
सागर
lo milne pahuch gaya hoon sathi.
lo milne pahuch gaya hoon sathi. puchchhna mera pata likhoyahanvaha.blogspot.com
se
shukriya dosto...
भुट्टे पे नींबू-मसाला चख
अपना भी घर बसा लेंगे
मेरी पसंदीदा लाइने है ये । बहुत खूब । बधाई ।
thnaxs asha di
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