रंगकर्मी परिवार मे आपका स्वागत है। सदस्यता और राय के लिये हमें मेल करें- humrangkarmi@gmail.com

Website templates

Monday, April 27, 2009

शायद मिले फिर वे

काली उलझी सड़क पे
पक्के सुलझे संवाद थे
धूप - उषण में जले
प्यासे पिघले ख्वाब थे
हवाओ के तूफ़ान में
मन के भीगे भावः थे
शायद मिले फिर वे
सागर सीने में तूफ़ान थे......
कीर्ती वैद्या..... 25th april 2009

2 comments:

Urmi said...

बहुत बढिया!!

Asha Joglekar said...

wah !

सुरक्षा अस्त्र

Text selection Lock by Hindi Blog Tips