Wednesday, February 17, 2010
देश पर नक्सली हमला
प.मिदनापूर में ईएफआर जवानों पर हुए नक्सली हमले ने एक बार फिर नक्सलियों की कथनी और करनी के बारे में देश को बता दिया है.......इस हमले के बाद कौन कह सकता है की नक्सली अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है......अगर अपनी हक की लड़ाई इसी तरह से लड़ी जाती तो कई महापुरुषों का नाम आज इतिहास के पन्नों में दर्ज ना होता.......कई सालों पहले जब नक्सली अंदोलन शूरु हुआ तो उसकी सोच और मकसद कुछ और था......उस समय वह उस तबके की अवाज को उठाने के लिए शुरु हुआ जिनकी अवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था......लेकिन आज का नक्सल आंदोलन पूरी तरह से अपनी दिशा से भटक चुका है.......कहते है नक्सल सरकार द्वारा शुरू किए गए ओपरेशन ग्रिन हंट से खिन्ने हुए है और इसी के चलते वह इस तरह की घटना को अंजाम दे रहे है........लेकिन क्या नक्सली कभी सोचते होंगे की आज इसकी नोबत क्यों आई की सरकार को उनके खिलाफ यह ओपरेशन शुरु करना पड़ा.....नक्सलियों की सोच चाहे जो भी हो लेकिन उनके इस तरह के हमले को किसी भी सूरत में बर्दाशत नहीं किया जा सकता......उन्होंने मारे गए जवानों के परिवार के लोगों को जो जख्म दिए है उन एक एक जख्म का हिसाब उनसे लिया जाना चाहिए.......मै चाहूंगा जो मेरे इस लेख को पड़े वो Indian Express(Wednesday Edition) की हेडलाइन स्टोरी जरुर पड़े जिसमें एक जवान ने मरने से पहले अपनी जिंदगी की कुछ बातें अपनी डायरी में लिखी है.......
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1 comment:
इस राजनीति को प्रणाम जो इस तरह के हत्यारों को फ़ायदे/नुक्सान की ही नज़र से देखती है
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