Monday, February 15, 2010
पुणे के जख्म
पूणे में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर पूरे देश को झकझौर के रख दिया है.....खास कर पूणे हमले में मारे गए बंगाल के एक ही परिवार के दो बच्चों की कहानी दिल दहला देने वाली है........उस परिवार ने कभी सोचा भी नहीं होगा की उनके बच्चों को उस गुनाह की सज़ा मिलेगी जो उन्होंने कभी किया ही नही.....आनंदी और अंकिक दोनों की तस्वीरों को देखकर लगता है कि किस तरह वो दोनों अपनी जिंदगी को भरपूर तरीके से जी रहे थे....शायद कभी उनके मन में यह ख्याल तक नहीं आया होगा की कुछ दिनों में उनकी जिंदगी का सफर खत्म होने वाला है........लेकिन उनकी मौत ने मेरे मन में कई सवाल खड़े किए है.....जर्मन बेकरी में हुए विस्फोट में आनंदी और अंकिक इस लिए मारे गए क्योंकि वो वहां मौजूद थे.....अगर उनकी जगह मैं होता तो शायद आज मैं यह लिख भी नहीं पाता.....शाहरुख की फिल्म माय नेम इज खान में शाहरुख की अम्मी ने उन्हें एक बात सिखाई थी कि इस दुनिया में दो ही तरह के लोग होते है अच्छे और बुरे..........आनंदी और अंकिक अच्छे थे इसलिए आज हमारे साथ नहीं है और वह आतंक जो इस तरह के कामो को अंजाम देते है वो शायद यह भी भूल गए है की वो इंसान है..........
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3 comments:
बहुत सटीक लिखा है और बहुत मार्मिक भी. मेरा मन तो बहुत खिन्न हो गया क्योंकि उन बच्चों के पिता मिस्टर धर और मेरे पति एक ही कम्पनी में काम करते हैं जहाँ तक मुझे याद है वो अंकलेश्वर में पोस्टेड हैं और हम यहाँ दिल्ली में
इन बच्चों का कसूर क्या था.
क्या बात है,,क्या बात कही है
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