आर्येंद्र पिछले करीब दो सालों से यूपीए सरकार की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक "राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून" को कवर कर रहे हैं। देश के कई राज्यों में योजना की हकीकत को करीब से देखने के बाद लोगों तक सच्चाई लाने का काम आर्येंद्र ने बखूबी किया है। मेरी गुजारिश पर उन्होंने अपनी राय बेबाकी से रखी हैं। उम्मीद है आप सहमत होंगे।राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।
कुछ लोग मानते है किये योजना सिर्फ़ घपले घोटाले को बढावा दे रही है जबकि कुछ लोग मानते है कि इस कानून से हालत सुधारे है, मेरा अपना अनुभव मुझे विवश करता है कि मैं उन लोगों को एक बार टोकूंगा जो इस कानून मे सिर्फ़ खामिया ही देखते है, लोकसभा टेलीविज़न के लिए कार्यक्रम बनाने के लिए मुझे राजस्थान के दो जिलो बांसवारा और झालावार जाने का मौका मिला, जहाँ पर भ्रष्टाचार के साथ इस कानून को मैंने लोगो की जिंदगी बदलते देखा है, मैं गवाह हूँ उन महिलों की आंखों की चमक का, जो नरेगा ने उनकी जिंदगी मे भर दी है।
सोशल ऑडिट जैसे कार्यक्रम ने इस इलाके के लोगो को इतना जागरुक किया है कि लोग मार खाने के बाद भी अपने हक की लड़ाई के लिए उठ खड़े हुए है, इस प्रकार की शुरुआत ने ग्रामपंचायत स्तर पर लोकतंत्र को जो मजबूती प्रदान की है, वो काबिले तारीफ है भारत के महालेखा विभाग की रिपोर्ट ने भी इस कानून को लेकर कई सवाल उठाये थे लेकिन उन व्यावहरिक दिकत्तो को कई लोगों ने बढ़ाचढा कर पेश किया, जबकि ज़मीनी सच्चाई को समझाने की जरूरत है, जॉब कार्ड बनाने से लेकर काम देने तक होने बाले भ्रष्टाचार का खुलासा होते मैंने अपनी आंखो से देखा है मैंने ये भी देखा है कि किस तरह सरपंचो से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक इस गोरख धंधें मे लिप्त थे, लेकिन इस प्रकार के भ्रष्टाचार का खुलासा होना इस बात की गारंटी है कि आने वाले समय मे ये भ्रष्टाचार कम होंगे, कियोंकि सोशल ऑडिट के जिस माध्यम से इस प्रकार के खुलासे हो रहे हैं, वो हर ६ महीने पर होता है, नरेगा पर सवाल उठाने वाले दोस्तो से मैं ये गुजारिश जरूर करूगा की वो कम से कम एक बार आंध्र प्रदेश जरूर जाए, नरेगा के सोशल ऑडिट की ताकत का अहसास वहीं जाकर होगा, आंध्र प्रदेश एकलौता ऐसा प्रदेश है, जहाँ सोशल ऑडिट के माध्यम से १ करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रिकवरी हुई है, मैं ये नहीं कहता की नरेगा ने ग्रामीण हिंदुस्तान की तस्वीर बदल दी है लेकिन जिन सच्चाइयों से मैं आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले मे रूबरू हुआ हूँ वो वास्तव मे अचरज मे भरी है, उस नक्सली इलाके मे नरेगा ने जिस प्रकार से सरकारी उपस्तिथि दर्ज करी है वो शायद पहली बार है कियोंकि नक्सली सरकारी योजनाओ को अपने इलाके मे पनपने ही नही देते, लेकिन नरेगा इस मामले मे सबसे अलग साबित हुई है, कुल मिलाकर मैं बहुत सी सुधरती चीजो को देख रहा हूँ जो नरेगा के द्वारा हो रही है।इन्ही उम्मीदों के साथ....
आर्येंद्र प्रताप
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