This is a kind request to all the Media people, inside or outside, kindly explain me as a journalism student, should i consider all the below depicted pics as BREAKING NEWS. Expecting comments.
मीडिया विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सभी चैनलों मे कुत्तों से भी ज्यादा रेल पेल मची हुई है ..सभी इस कोशिश में है कि कौन ज्यादा से ज्यादा वाहियात खबरें दिखाने में एक दूसरे से आगे है ....आने वाले दिनों में अगर कमिश्नर साहब के कुत्ते की पेचिश की खबर भी ब्रेकिंग न्यूज में शामिल हो तो भी किसी को आश्चर्य नही होना चाहिए ....पैसा कमाने के चक्कर में चैनलों के मालिकों ने पत्रकारिता की मइया कर दी है ....इस ओऱ ध्यान आकर्षित करने के लिए गरिमा जी आपको ....साधुवाद
Ms Garima, it's grave yet funny. and this is what exactly is the position out there in the society too. I don't agree that it's all for basic needs of food and shelter, it's more serious. The public is literate, not educated. and the bosses in AC offices very well know the taste of literate yet uneducated public. They sell it to them and no doubt they sell it well..
रंगकर्मी पर प्रकाशित सभी लेख लेखकों की व्यक्तिगत राय या सोच है। प्रत्येक लेख (पोस्ट) से सम्बन्धित लेखक ही उसके लिये पूर्णतया ज़िम्मेदार है। रंगकर्मी पर प्रकाशित किसी भी लेख को लेकर होने वाले विवाद या आपत्ति का रंगकर्मी के संचालक/संपादक से कोई लेना देना नही होगा। सभी लेखकों से अनुरोध है कि वो कोई भी विवादित लेख, तस्वीर या सामग्री रंगकर्मी पर प्रकाशित ना करें। इस तरह के लेख या तस्वीर को बिना किसी सूचना के ब्लॉग से हटा दिया जायेगा। सम्पादक-रंगकर्मी
6 comments:
sahi ha garima ji............... kya pic hai...... ek dam sahi comment aaj ki tv media par
Hi Garima,
Hum sab ko Aaina dikhane ke liye shukriya.
Ek Aisi Hakikat hai jise jhuthlaya nahi jaa sakta.
Keep it up.....
Parvez Sagar
Thanx Parvgez ji and Tuli. Aaina to hum sab dekh rahe hai per pet ki ladai ke aage shayad majbur hai. chah ke bhi stithi wahi dhak ke teen paat.
Aap logo ka shukriya.
मीडिया विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सभी चैनलों मे कुत्तों से भी ज्यादा रेल पेल मची हुई है ..सभी इस कोशिश में है कि कौन ज्यादा से ज्यादा वाहियात खबरें दिखाने में एक दूसरे से आगे है ....आने वाले दिनों में अगर कमिश्नर साहब के कुत्ते की पेचिश की खबर भी ब्रेकिंग न्यूज में शामिल हो तो भी किसी को आश्चर्य नही होना चाहिए ....पैसा कमाने के चक्कर में चैनलों के मालिकों ने पत्रकारिता की मइया कर दी है ....इस ओऱ ध्यान आकर्षित करने के लिए गरिमा जी आपको ....साधुवाद
This post shows the standard of content showing in Indian Electronic media. It's really sad.
Thanks to Writer for bringing such great pics.
Ms Garima, it's grave yet funny. and this is what exactly is the position out there in the society too. I don't agree that it's all for basic needs of food and shelter, it's more serious. The public is literate, not educated. and the bosses in AC offices very well know the taste of literate yet uneducated public. They sell it to them and no doubt they sell it well..
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