Monday, June 16, 2008
ख़बर वालों की ख़बर देगा न्यूज़ वायरस
उत्तर प्रदेश के स्टार टीवी जर्नालिस्ट सलीम सैफी के छोटे भाई नईम सैफी अब प्रिन्ट मीड़िया मे लम्बी दौड़ लगाने की तैयारी कर रहे है। पश्चिम उत्तर प्रदेश मे एक अंग्रेजी टीवी चैनल का झण्ड़ा बुलन्द करने वाले नईम पिछले कई सालों से अंग्रेजी पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। उनका नाम इस क्षेत्र के गिने चुने पत्रकारों मे शुमार होता है। नईम सैफी अब हिन्दी की एक ऐसी न्यूज़ मैगज़ीन को लेकर आ रहे हैं जो पत्रकारिता से जुड़े लोगों यानि की ख़बर वालों की ही ख़बर पाठकों को देगी। इस मासिक पत्रिका का नाम न्यूज़ वायरस है। जो बहुत जल्द प्रदेश स्तर पर लांच की जायेगी। न्यूज़ वायरस का अहम मकसद पत्रकारिता और खासकर टीवी पत्रकारिता मे पार्किंग और गैस्टहाउस से टॉयलैट तक होने वाली सारी हरकतों का खुलासा करना होगा। ये अपने तरह की इकलौती मैगज़ीन होगी जो ख़बर वालों के कारनामों को दुनिया के सामने रखेगी। न्यूज़ वायरस मे छपने वाली सारी ख़बरें और लेख पूर्णतया तथ्यों पर आधारित होगें। ख़बरों की प्रमाणिकता बनाये रखने को लेकर भी खास सावधानी बरती जायेगी। फिलहाल न्यूज़ वायरस के प्रमुख सम्पादक की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। गौरतलब है कि नईम अपने बड़े भाई सलीम सैफी की तरह ही तेज़ तर्रार पत्रकार माने जाते हैं।
Friday, June 13, 2008
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून !!!
आर्येंद्र पिछले करीब दो सालों से यूपीए सरकार की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक "राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून" को कवर कर रहे हैं। देश के कई राज्यों में योजना की हकीकत को करीब से देखने के बाद लोगों तक सच्चाई लाने का काम आर्येंद्र ने बखूबी किया है। मेरी गुजारिश पर उन्होंने अपनी राय बेबाकी से रखी हैं। उम्मीद है आप सहमत होंगे।राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।
कुछ लोग मानते है किये योजना सिर्फ़ घपले घोटाले को बढावा दे रही है जबकि कुछ लोग मानते है कि इस कानून से हालत सुधारे है, मेरा अपना अनुभव मुझे विवश करता है कि मैं उन लोगों को एक बार टोकूंगा जो इस कानून मे सिर्फ़ खामिया ही देखते है, लोकसभा टेलीविज़न के लिए कार्यक्रम बनाने के लिए मुझे राजस्थान के दो जिलो बांसवारा और झालावार जाने का मौका मिला, जहाँ पर भ्रष्टाचार के साथ इस कानून को मैंने लोगो की जिंदगी बदलते देखा है, मैं गवाह हूँ उन महिलों की आंखों की चमक का, जो नरेगा ने उनकी जिंदगी मे भर दी है।
सोशल ऑडिट जैसे कार्यक्रम ने इस इलाके के लोगो को इतना जागरुक किया है कि लोग मार खाने के बाद भी अपने हक की लड़ाई के लिए उठ खड़े हुए है, इस प्रकार की शुरुआत ने ग्रामपंचायत स्तर पर लोकतंत्र को जो मजबूती प्रदान की है, वो काबिले तारीफ है भारत के महालेखा विभाग की रिपोर्ट ने भी इस कानून को लेकर कई सवाल उठाये थे लेकिन उन व्यावहरिक दिकत्तो को कई लोगों ने बढ़ाचढा कर पेश किया, जबकि ज़मीनी सच्चाई को समझाने की जरूरत है, जॉब कार्ड बनाने से लेकर काम देने तक होने बाले भ्रष्टाचार का खुलासा होते मैंने अपनी आंखो से देखा है मैंने ये भी देखा है कि किस तरह सरपंचो से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक इस गोरख धंधें मे लिप्त थे, लेकिन इस प्रकार के भ्रष्टाचार का खुलासा होना इस बात की गारंटी है कि आने वाले समय मे ये भ्रष्टाचार कम होंगे, कियोंकि सोशल ऑडिट के जिस माध्यम से इस प्रकार के खुलासे हो रहे हैं, वो हर ६ महीने पर होता है, नरेगा पर सवाल उठाने वाले दोस्तो से मैं ये गुजारिश जरूर करूगा की वो कम से कम एक बार आंध्र प्रदेश जरूर जाए, नरेगा के सोशल ऑडिट की ताकत का अहसास वहीं जाकर होगा, आंध्र प्रदेश एकलौता ऐसा प्रदेश है, जहाँ सोशल ऑडिट के माध्यम से १ करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रिकवरी हुई है, मैं ये नहीं कहता की नरेगा ने ग्रामीण हिंदुस्तान की तस्वीर बदल दी है लेकिन जिन सच्चाइयों से मैं आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले मे रूबरू हुआ हूँ वो वास्तव मे अचरज मे भरी है, उस नक्सली इलाके मे नरेगा ने जिस प्रकार से सरकारी उपस्तिथि दर्ज करी है वो शायद पहली बार है कियोंकि नक्सली सरकारी योजनाओ को अपने इलाके मे पनपने ही नही देते, लेकिन नरेगा इस मामले मे सबसे अलग साबित हुई है, कुल मिलाकर मैं बहुत सी सुधरती चीजो को देख रहा हूँ जो नरेगा के द्वारा हो रही है।इन्ही उम्मीदों के साथ....
आर्येंद्र प्रताप
Monday, June 9, 2008
सोच
सोच....बहुत हद तक ले डूबे
कभी ....
मन के अंधियारे गलियारों के
अनजान रास्तों के फेरे काटे
कभी ....
निर्झर झरने के नीर सी भागती जाए
राह की चट्टानों से टकरा, छलक जाए
कभी....
नील अम्बर को बन पतंग छुना चाहे
कटने के डर से धरा का रुख कर जाए
कभी ......
नटनी बन सुतली पर कलाबाजी खाए
चोट के भय से बच्चों सी तड़प जाए
हाँ, इक सोच ना जाने कितने आसमां दिखाए
कीर्ती वैद्य .......09 june 2008
Sunday, June 8, 2008
सावधान... ज़रा ध्यान दें।
सभी साथियों का अभिवादन.....
आज के ज़माने मे अगर कुछ लोग आपको अच्छा कहने लगे तो कुछ लोग ऐसे भी होते है जिन्हे आपका अच्छा होना पसन्द नही आता। पता नही ऐसा क्यों होता है जबकि ना तो उन सर फिरे लोगों से आपका झगड़ा होता है और ना ही किसी से दुश्मनी। जब कोई इस तरह से आपको परेशान करने लगे या आपकी आलोचना करने लगे तो इसका क्या मतलब हो सकता है। इस तरह के लोग आपको परेशान करने या आपके नाम खराब करने मे भी कोई कसर नही छोड़ना चाहते। अफसोस होता है ऐसे लोगों की मानसिकता पर। आप सभी को बताना चाहता हूँ कि मैं भी कुछ इसी तरह की परेशानियों से दो-चार हो रहा हूँ आजकल। इसलिये आपको बताना ज़रुरी समझा। कोई पिछले कुछ समय से मेरे नाम की एक फर्ज़ी ईमेल आईड़ी बनाकर लोगों को उल्टे सीधे मेल और स्क्रेप कर रहा है। मेरे कई साथियों ने मुझे फोन पर इस बात की शिकायत की और मेल भी आये। ये फर्ज़ी ईमेल आईड़ी आपको बताना भी ज़रुरी है जो कि "parvezsagars@gmail.com" है। मेरा आप सभी साथियों से निवेदन है कि अगर इस आईड़ी से आप लोगों को कोई मेल या स्क्रेप आये तो प्लीज़ मुझे ज़रुर बता दें। इस सम्बन्ध मे मैने दिल्ली और यू.पी. साइबर क्राइम सैल मे मुकदमा भी दर्ज करा दिया है। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरु कर दी है। पुलिस के मुताबिक जिस सिस्टम से ये काम किया गया है वो नोयड़ा मे इस्तेमाल हो रहा है। बहारहाल आप सभी से सहयोग की अपील है और अनुरोध है कि इस तरह का काम करने वालों को सबक ज़रुर सिखाया जाये। उम्मीद है आप सभी लोग इस पर ध्यान देगें।
आपका...
परवेज़ सागर
आज के ज़माने मे अगर कुछ लोग आपको अच्छा कहने लगे तो कुछ लोग ऐसे भी होते है जिन्हे आपका अच्छा होना पसन्द नही आता। पता नही ऐसा क्यों होता है जबकि ना तो उन सर फिरे लोगों से आपका झगड़ा होता है और ना ही किसी से दुश्मनी। जब कोई इस तरह से आपको परेशान करने लगे या आपकी आलोचना करने लगे तो इसका क्या मतलब हो सकता है। इस तरह के लोग आपको परेशान करने या आपके नाम खराब करने मे भी कोई कसर नही छोड़ना चाहते। अफसोस होता है ऐसे लोगों की मानसिकता पर। आप सभी को बताना चाहता हूँ कि मैं भी कुछ इसी तरह की परेशानियों से दो-चार हो रहा हूँ आजकल। इसलिये आपको बताना ज़रुरी समझा। कोई पिछले कुछ समय से मेरे नाम की एक फर्ज़ी ईमेल आईड़ी बनाकर लोगों को उल्टे सीधे मेल और स्क्रेप कर रहा है। मेरे कई साथियों ने मुझे फोन पर इस बात की शिकायत की और मेल भी आये। ये फर्ज़ी ईमेल आईड़ी आपको बताना भी ज़रुरी है जो कि "parvezsagars@gmail.com" है। मेरा आप सभी साथियों से निवेदन है कि अगर इस आईड़ी से आप लोगों को कोई मेल या स्क्रेप आये तो प्लीज़ मुझे ज़रुर बता दें। इस सम्बन्ध मे मैने दिल्ली और यू.पी. साइबर क्राइम सैल मे मुकदमा भी दर्ज करा दिया है। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरु कर दी है। पुलिस के मुताबिक जिस सिस्टम से ये काम किया गया है वो नोयड़ा मे इस्तेमाल हो रहा है। बहारहाल आप सभी से सहयोग की अपील है और अनुरोध है कि इस तरह का काम करने वालों को सबक ज़रुर सिखाया जाये। उम्मीद है आप सभी लोग इस पर ध्यान देगें।
आपका...
परवेज़ सागर
Saturday, June 7, 2008
क्या है नार्कोटेस्ट
१६ मई से लगातार हम आरुषि हत्याकांड से जुड़ी ख़बरे न्यूज़ चैनल औऱ अख़बारों में देख रहे है...... सीबीआई ने डॉक्टर तलवार का नॉर्कोटेस्ट भी करवाया....आज मैं एक लेख के माध्यम से आपको रूबरू कराती हूं नार्कोटेस्ट के हर एक पहलू से उम्मीद करती हूं आप लोगो को जरूर पंसद आएगा..........
NARCOANALYSIS
WHAT IS IT?
Psychotherapy conducted while the patient is in a sleeplike state induced by barbiturates or other drugs, especially as a means of releasing repressed feelings or thoughts. Also called narcosynthesis. It is also called the truth serum test.
· A person is able to lie by using his imagination. In the Narcoanalysis Test, the subject's imagination is neutralised by making him semi-conscious. In this state, it becomes difficult for him to lie and his answers would be restricted to facts he is already aware of. Experts inject the subject with Sodium Pentothal or Sodium Amytal. The dose is dependent on the person's sex, age, health and physical condition. A wrong dose can result in a person going into a coma, or even death.
· The subject is not in a position to speak up on his own but can answer specific but simple questions. The answers are believed to be spontaneous as a semi-conscious person is unable to manipulate the answers.
DRUG USED
· A few of the best known drugs are Seconal, Hyoscine (scopolamine), Sodium Pentothal, Sodium Amytal, Phenobarbital. Most commonly used drug for truth serum test is an anesthetic and sedative drug, Soduium Pentothal which when administered intravenously can make a person garrulous and confessional.
· The narcoanalysis test is conducted by mixing 3 grams of Sodium Pentothal dissolved in 3000 ml of distilled water. Depending on the person’s sex, age, health and physical condition, this mixture is administered intravenously along with 10% of dextrose over a period of 3 hours with the help of an anaesthetist. Wrong dose can send the subject into coma or even result in death.
In India, a controlled dosage of the drug sodium pentathol is administered which will enable the person to be in a state of disinhibition (a state when the person has crossed inhibition) as long as the task of obtaining revelations requires. The drug is administered to the subject after taking his/her consent.
PSYCHOANALYTICAL TESTS
The three tests - the polygraph or lie detector test (that determines whether a person is lying), the P-300 or brain mapping and narcoanalysis - are all tools employed by forensic experts. These test are used by investigators to cross check their findings, determine if a suspect is telling the truth or make him reveal facts pertaining to a case.
LEGALITIES
For polygraph and brain mapping tests, no court permission is required. But unlike them, narcoanalysis is an invasive procedure where the subject is lulled by being injected with an anaesthetic, making a court permission mandatory.
TEST SUBJECTS
· The test was first administered in 2000 on a Veerappan aide.
· It was used in 2002 in the Godhra carnage probe.
· It was also in news after the famous Arun Bhatt kidnapping case in Gujarat wherein the accused had appealed to the NHRC and the Supreme Court against undergoing the narcoanalysis test.
· It was again in news in the Telgi stamp paper case and was made famous when Abdul
· Karim Telgi was subjected to the said test in December 2003 at a government hospital in Bangalore.
· Naresh Pardesi, associate of Maharashtra MLA and former don Arun Gwali, was administered the narco test.
· In the past, the forensic science laboratory in Gandhingar has helped convict a serial killer who had murdered eight people in Ujjain.
· The FSL has also helped in investigations in the Telgi case, the Anara Gupta CD case and carried out brain mapping of Ghutka barons JM Joshi and Dhariwal.
· Abu Salem undergoes the lie detector (polygraph), brain mapping and narco-analysis test in 2005.
· The Bombay train blasts case, the Nithari killers case, and the "beer killer" case in Mumbai (2007) are few examples of recent cases that involved narcoanalysis.
ARE THESE TESTS ADMISSIBLE IN COURT
Lawyers are divided on whether the results of Narco Analysis and P300 tests are admissible as evidence in courts.
· "Confessions made by a semi-conscious person is not admissible in court. A Narcoanalysis Test report has some validity but is not totally admissible in court, which considers the circumstances under which it was obtained and assess its admissibility," advocate P R Vakil told. "Under certain circumstance, a person may hold a certain belief. By repeatedly thinking about an issue in a particular way, he begins to believe that what he is thinking is right. But it need not necessarily be the truth," Vakil explained.
· "Results of such tests can be used to get admissible evidence, can be collaborated with other evidence or to support other evidence. But if the result of this test is not admitted in a court, it cannot be used to support any other evidence obtained the course of routine investigation."
· Criminal lawyer Majeed Memon said, "If the courts give permission to conduct these tests, then only it can decide the admissibility of the test results and other related evidence. Such reports can be used as evidence or to support other evidence."
· Another criminal lawyer Sham Keswani has a different view। "Such tests don't have any legal validity. They can only assist the police investigation."But, in case a person is not affected by the chemical, he might take some wrong names (to mislead investigators). The results of such tests can be used to support other evidence," he said.
कैसा लगा आपको ये लेख जरूर बताएं..........
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