ग़ज़ल
शरीक़े ग़म तुम्हारे सिर्फ़ हम थे
ज़माने के सितम थे सिर्फ़ हम थे
फ़क़त इक बार तुमसे बात की थी
निशाने पे सभी के सिर्फ़ हम थे
तुम्हारे साथ लाखों मुस्कुराये
तुम्हारे साथ सिसके सिर्फ़ हम थे
ग़ज़ल की बात करते थे हज़ारों
ग़ज़ल से बात करते सिर्फ़ हम थे
चलेंगे साथ था वादा तुम्हारा
चले 'तनहा' सफ़र पे सिर्फ़ हम थे
- प्रमोद कुमार कुश 'तनहा'
http://pramodkumarkush.blogspot.com
www.reverbnation.com/pkkush
5 comments:
क्या बात है .
बेहद खूबसूरत ।
बहुत आला दर्जे के शैर पिरोये हैं इस गजल में आपने। पहले भी इस पर टिपण्णी की है स्पेम में देखिये।
परम स्नेही वीरेन्द्र जी,अमृता जी एवं आशा जी -
ग़ज़ल पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिये आपका हार्दिक आभार ...
Diwali Gifts Online
Karwa chauth Gifts Online
Birthday Gifts Online
Bhai Dooj Gifts Online
Post a Comment