पंचायती राज में भारत के गाँव में ,
काली सी दाल पके पीपल के छाँव में !
नमक है किसका दाल है किसकी ,
मांगे हिसाब औकात है किसकी !
बिकता है मत मदिरा के अनुपात में ,
आरक्षण के कारण बाँट जात-२ में !
कुछ कर दे कर-२ कंगाल हो गए ,
कुछ गाँव के सरपंच के दलाल हो गए !
मूंछ वाला कोई तो कोई मुछ्मुंडा,
प्रधान का दाहिना हाथ है गुंडा !
कैसे हो देश में विकाश मूलभूत ,
गाँव में है मची प्रधानी की लूट !
-विनयतोष मिश्र
www.vinaytosh.blogspot.com
2 comments:
वाह भई विनयतोष जी अच्छा लिखा है
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