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अन्दर से डर जाता हूँ
  देख भला इन्सान ,
  अपना सा लगने लगा
  जो बैरी था शैतान।
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  यही सोच कर सबके सब
  होते  हैं  परेशान,
  भ्रष्टाचार का कोई किस्सा
  अब करता नहीं हैरान।
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  गली गली में बिक रहा
  राजा का ईमान ,
  सारी उम्मीदें टूट गईं
  राज करें बेईमान। 
 
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
1 comment:
सही कहा।
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