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बात तो, कभी भी
कुछ भी ना थी,
मैं तो बस यूँ ही
मुस्कुराता रहा,
अपनों को खुश
रखने के लिए
अपने गम
छिपाता रहा।
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मेरे अन्दर झांकने वाले
गुम हो गए दो नैन,
कौन सुनेगा,किसको सुनाऊं
कैसे मिले अब चैन।
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1 comment:
सच ही कहा है जाने कितने दिलों की बात और वेदना इन चंद पंक्तियों में समा गयी है
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