इराकी पत्रकार मुंतज़िर अल ज़ैदी का जूता आज तक लोग नही भूले हैं। दरअसल वो जूता इतना खास बन गया था कि दुनिया के कौने कौने मे उस जूते के चर्चे आम हो गये। इराकी जनता के गुस्से का इज़हार करने के लिये अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश पर फेंका गया वो जूता भारत मे भी कई लोगों के लिये प्रेरणा बन गया।
पूरी दुनिया के लोग आज तक ये जानने को उत्सुक रहते हैं कि आखिर मुंतज़िर अल ज़ैदी को जूता फेंकने की ज़रुरत क्यों पड़ी? इसी बात को ध्यान मे रखकर जाने-माने फिल्म निर्माता निर्देशक महेश भट्ट ने इस संवेदनशील विषय को लोगों के सामने रखने के लिये रंगमंच की दुनिया में कदम रख दिये।
महेश भट्ट ने मुंतज़िर अल ज़ैदी की किताब द लॉस्ट सेल्यूट टू प्रेसीडेन्ट बुश पर आधारित एक नाटक की रचना कर डाली। शनिवार और रविवार की शाम राजधानी दिल्ली के श्रीराम सेन्टर में महेश भट्ट के नाटक द लॉस्ट सेल्यूट का मंचन किया गया। नाटक मे दर्शाया गया कि किस तरह से अमरीका ने शान्ति के नाम पर छोटे से मगर सम्पन्न राष्ट्र इराक को बर्बाद किया। किस तरह से आंतक और जैविक हथियारों के बहाने बगदाद शहर पर आग बरसाई गयी। किस तरह से अमरीकी सेना ने मासूम बच्चों और औरतों पर कहर बरपाया। यहां तक कि इराक में अस्पतालों को जंग के दौरान बमों के हवाले कर दिया गया। ये नाटक उस आम आदमी की कहानी है जो अपनी आँखों से अपने घर, शहर और वतन की बर्बादी देखता है और जब उसकी हिम्मत जवाब दे जाती है तो वो कुछ कर गुज़रने की ठान लेता है। दरअसल ये नाटक अमरीका की तानाशाही को लोगों के सामने रखता है जो किसी भी मुल्क पर किसी भी बहाने से हमला करने की फिराक मे रहता है। या फिर ये कहें कि दुनिया भर के मुल्कों को डराने की कोशिश करता रहता है। ताकि वो अपनी जायज़ और नाजायज़ नीतियों को दुनिया पर थोप सके।
अस्मिता थियेटर ग्रुप के कलाकारों ने करीब एक घण्टे की इस प्रस्तुति में दर्शकों के सामने मुंतज़िर अल ज़ैदी की पूरी कहानी बंया की। अभिनय की अगर बात की जाये तो नाटक का मुख्य किरदार महेश भट्ट की अगली फिल्म में बतौर नायक एन्ट्री करने वाले इमरान जाहिद ने अदा किया। पूरे नाटक की जान मुंतज़िर अल ज़ैदी का ये किरदार ही था। लेकिन इमरान जाहिद यहां अपने अभिनय की छाप नही छोड़ पाये। नाटक मे कई जगहों पर अन्य किरदार इमरान पर हावी दिखाई दिये। आवाज़ और अभिनय के मामले में इमरान अपने किरदार मे आत्म विश्वास भरने मे नाकाम रहे तो नाटक के सूत्रधार की शक्ल मे विरेन बसोया ने दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। जार्ज वी बुश का किरदार निभाने वाले ईश्वाक सिंह ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया। इन दोनों की संवाद अदायगी काबिल-ए-तारीफ थी। शिल्पी मारवाह ने अपने छोटे पर सशक्त किरदार को जीवंत बनाने का सफल प्रयास किया। इसके अलावा राहुल खन्ना, हिमांशु, सूरज सिंह, गौरव मिश्रा, पंकज दत्ता, शिव चौहान, रंजीत चौहान और मलय गर्ग ने संवाददाताओं की भूमिका मे अपनी आवाज़ को दूर तक पंहुचाया।
नाटक का संगीत और गायन पक्ष कमज़ोर दिखाई दिया। जिसकी ज़िम्मेदारी संगीता गौर को दी गयी थी। पार्श्व संगीत की कमी तो नाटक में शुरु से ही दिख रही थी जबकि पार्श्व संगीत के लिये नाटक मे काफी गुंजाइश थी। कोरस ने गीतों के साथ कोई न्याय नही किया। यहां तक अभिनेताओं और कोरस के बीच तालमेल की कमी लगातार दर्शकों को खलती रही। कई जगहों पर गीतों मे कोरस खुद ही भटक गया। यहां तक फैज़ अहमद, साहिर लुधियानवी और हबीब जलीब के जनगीत दर्शकों को समझ मे ही नही आये।
नाटक के निर्देशक अरविन्द गौर लगातार कई सालों से रंगमंच कर रहे हैं। अरविन्द सामाजिक और रानीतिक नाटकों के लिये जाने जाते हैं। इसलिये उनके निर्देशन मे इस नाटक से उम्मीदें ज़्यादा थी। एक माह की रिहर्सल के बाद भी वो मुख्य किरदार निभाने वाले इमरान ज़ाहिद को पूरी तरह तैयार नही कर पाये। जबकि अन्य किरदार दर्शकों पर छाप छोड़ने मे कामयाब रहे।
नाटक की स्क्रिप्ट और संवाद दर्शकों को पसन्द आये। लखनऊ के राजेश कुमार मुंतज़िर अल ज़ैदी की किताब से ली गयी कहानी को नाटक बनाने मे सफल दिखाई दिये। मैकअप पक्ष को श्रीकान्त वर्मा ने संवारा। नाटक मे लाइटिंग पक्ष भी अच्छा रहा।
मंचन के दौरान खासतौर पर इराकी टीवी पत्रकार मुंतज़िर अल ज़ैदी दिल्ली आये थे। उन्होने नाटक देखने के बाद कहा कि इस नाटक को देखकर उनकी वो सारी यादें ताज़ा हो गयी जो उनके साथ गुज़रा। उन्होने गांधी जी की सराहना करते हुये कहा कि ये देश बहुत सौभाग्यशाली है क्योंकि गांधी जी यहां रहा करते थे। जिन्होने उन्हे भी सच के लिये लड़ने की प्रेरणा दी।
नाटक के निर्माता महेश भट्ट ने कहा कि हम सभी को अन्याय के खिलाफ चुप रहने के बजाय आवाज़ उठानी चाहिये। जब तक हम आवाज़ बुलन्द नही करेगें तब तक हमारी सुनवाई नही होगी। सब साथ आईये और अपने हक के लिये, सच के लिये आवाज़ बुलन्द किजीये।
इस दौरान अभिनेत्री पूजा भट्ट, सांसद जया प्रदा, अभिनेता डीनो मारियो, सन्दीप कपूर आदि मौजूद रहे।
2 comments:
Are Wah ye to natak dekhna padega,
सुंदर समीक्षा
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
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