श्रीगंगानगर--एक अद्धा और पचास रूपये लेकर आना। इस से पहले घर में मत घुसना चाहे रात के दस बज जाएं। यह किसी फिल्म का संवाद नहीं। एक महिला द्वारा एक भीखारी बच्चे को दिया गया आदेश है। भीख! जो दे उसका भी भला ना दे उसका भी। अब इसका स्टाइल बदल गया है। जबरदस्ती भीख वसूली जाती है। जो नहीं देता उसको सरे राह रुसवा होना पड़ता है। ऐसे दृश्य बाजार में हर रोज देखे जा सकते हैं। पांच से दस साल के लड़के-लड़कियां किसी दुकान,होटल,रेस्टोरेंट से निकल रहे नए कपल,युवक,युवती को अपना निशाना बनाते हैं। उनके कपड़े खींचेंगे। पैर पकड़ लेंगे। दूर दूर तक उनके पीछे चलेंगे। आखिर इस स्थिति में कोई क्या करेगा? " भीख" देगा या जैसे तैसे पिंड छुड़ा कर भागेगा। ये बच्चे अकेले नहीं होते। दूर खड़ा कोई किशोर इनको इशारे करके यह बताता रहता है कि कब क्या करना है। बच्चे उसके इशारे पर भीख वसूल कर उसको दे आते। जिस किसी दुकान के आगे यह सब होता है उसका मालिक,कर्मचारी इनको भागने से डरते हैं। नरमी से ये मानते नहीं। गर्मी दिखाने पर बात बिगाड़ जाने का डर। इस लिए हर रोज परेशान होते हैं, होते रहें।
शिष्टाचार का अता पता नहीं-- सामाजिक शिष्टाचार का महत्व बहुत अधिक है। छोटी छोटी गली में इस शिष्टाचार को देखा और महसूस किया जाता है। किन्तु सिविल लाइन्स में यह सब दिखाई नहीं देता। जितना बड़ा रुतबा उतना ही कम शिष्टाचार। जयपुर के सिविल लाइन्स , जहाँ जनता के चुने प्रतिनिधि सरकार के मंत्री बन कर रहते हैं। कोई मंत्री अपने पडौसी मंत्री से राम राम करता नहीं दिखता। कोई एक दूसरे के घर शायद ही कभी गया हो। ये अपने अपने इलाके से चुने ही इसलिए गए कि इन्होने जन जन से संवाद बनाये रखा। या तो अकेले ही पड़े रहते हैं या वहां रहते नहीं।
कोई आया नहीं, कोई जाने को-- एस पी साहेब लम्बी छुट्टी के बाद कम पर लौट आये। काम उनके बिना भी चल रहा था उनके आने के बाद तो चलना ही है। जिले के मंत्री, विधायकों ने उनको कई थाना प्रभारियों को बदलने के आदेश निर्देश दिए थे। अब उसकी पालना की उम्मीद है। इन्तजार करते करते एक पखवाडा हो गया। उधर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के जाने की चर्चा है। उनका यू एन ओ के किसी कार्यक्रम के लिए चयन हो गया है। उनका जाना तय है। उनकी जगह प्राप्त करने के लिए अधिकारियों ने राजनेताओं की शरण में जाना क्या अपने अपने शुभचिंतक नेता से डिजायर भिजवाना शुरू कर रखा है। जिन्होंने डिजायर भिजवा दी वे उसका फोलो अप करवाते रहते हैं। नए डी एस पी अशोक मीणा के आने की कोई सूचना नहीं है। इस पद के लिए भी कई अधिकारी नजर लगाए हुए हैं। कोई राजनीतिक सम्पर्क से आस लगाए है कोई अपने प्रशासनिक सम्बन्धों के भरोसे उम्मीद पाले है।
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