रंगमंच की दुनिया में मशहूर नाट्यकर्मी हबीब तनवीर का नाम हमेशा याद रखा जायेगा। उन्होने भारतीय रंगमंच को आगे ही नही बढ़ाया बल्कि उसे एक नई दिशा भी प्रदान की। आज भले ही हबीब तनवीर इस दुनिया में न हों लेकिन उनकी कला और यादें सभी के जहन में ताजा हैं। उनके कई शागिर्द आज भी अपने उस्ताद की कमी को महसूस करते हैं।
तनवीर के साथ लगभग दो दशक तक सक्रिय रूप से जुड़े रहे नाट्य कलाकार अनूप त्रिवेदी भी उनके ऐसे ही एक शागिर्द हैं। अनूप त्रिवेदी कहते हैं कि उनके जैसा कोई दूसरा नाट्यकर्मी नहीं हो सकता। वह मेरे गुरु थे और मैंने अभिनय की बारीकियां उन्हीं से सीखीं। नाट्य जगत के दिग्गज तनवीर का जन्म एक सितंबर, 1923 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ। नागपुर के मॉरिस कॉलेज और अलीगढ़ मुस्लिम विविद्यालय से पढ़ाई करने वाले तनवीर ने नुक्कड़-नाटक के जरिए अपनी एक अलग पहचान कायम की थी।
त्रिवेदी के मुताबिक तनवीर की रग-रग में थियेटर के लिए प्यार था। कुछ लोग उन्हें नुक्कड़-नाटकों तक ही सीमित करते हैं लेकिन उनका योगदान बहुत बड़ा था। वह कला के सच्चे पुजारी थे। उन्होंने मेरे जैसे सैकड़ों युवकों को प्रेरणा दी।
वह 1945 में मुंबई पहुंचे और आकाशवाणी में नौकरी करने लगे। यहीं से उन्होंने फिल्मों में गीत लिखने शुरू किए और कुछ फिल्मों में भी अभिनय किया। माया नगरी में रहकर वह कई नाट्य मंडलियों से जुड़े। बाद में तनवीर दिल्ली आकर सक्रिय रूप से थियेटर से जुड़ गए। इसके बाद बतौर नाट्यकर्मी उनका जो सफर शुरू हुआ वह बेमिसाल रहा। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल उनकी कर्मस्थली साबित हुई।
हबीब के साथ काम कर चुके नाट्य कलाकार और लेखक निसार अहमद बतातें हैं कि एक नाट्यकर्मी के तौर पूरी दुनिया हबीब तनवीर को जानती है। बहुत से लोग उनकी शख्सियत के कायल हैं। उनके भीतर गज़ब की सादगी थी। उनके साथ काम करने के अनुभव को कभी नहीं भूलाया नही जा सकता।
तनवीर ने अपने लंबे करियर में कई नाटकों का निर्माण और निर्देशन किया। उनका सबसे मशहूर नाटक ‘चरणदास चोर’ रहा। इसका निर्माण वर्ष 1975 में हुआ था। अंगेजी समाचार पत्र ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने इस नाटक को आज़ादी के बाद की 60 सर्वश्रेष्ठ कृतियों में शुमार किया था। तनवीर को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री और पद्म भूषण से भी नवाजा गया। वर्ष 1972 से 1978 तक वह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। नाट्य कला के इस सरताज ने आठ जून 2009 को अंतिम सांस ली।
रंगमंच की इतिहास में हबीब तनवीर का नाम हमेशा याद किया जायेगा।