tag:blogger.com,1999:blog-8926392925894085311.post3340275722002805081..comments2023-11-05T14:15:44.283+05:30Comments on रंगकर्मी Rangkarmi: रिश्तों की डोर अब कानून के हाथ ?Parvez Sagarhttp://www.blogger.com/profile/02982894907523254757noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8926392925894085311.post-42307589612716935742020-12-29T15:01:25.403+05:302020-12-29T15:01:25.403+05:30Parents Care<a href="https://www.care4parents.in/" rel="nofollow">Parents Care</a><br />Emily Katiehttps://www.blogger.com/profile/03853671063932101879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8926392925894085311.post-38324670858619617782007-12-21T21:35:00.000+05:302007-12-21T21:35:00.000+05:30Jab tak "Tulika" jaise Vyakti mojood rahenge, Insa...Jab tak "Tulika" jaise Vyakti mojood rahenge, Insaniyat khatm nahi ho sakti. Aise Dik soochakon ki samaj ko aaj bahut jaroorat hai!Unknownhttps://www.blogger.com/profile/18038799978873236084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8926392925894085311.post-14265304102073988292007-12-12T15:13:00.000+05:302007-12-12T15:13:00.000+05:30रचना जी मेरी हंसी उस बालात्कार पर नहीं है बल्कि उस...रचना जी मेरी हंसी उस बालात्कार पर नहीं है बल्कि उस वक्त पर है जिस वक्त पर ये वाक्या हुआ । ये कैसे तय करेगा कानून की ये प्यार नहीं बालात्कार था । या पति इंसान नहीं बहशी था शायद एक बार को आरोप तय भी हो जाए लेकिन आरोप तय होने तक उस लड़की का नामालुम कितनी बार बलात्कार होगा ये शायद सिर्फ उसे पता होगा । सवाल ये नही है कि ऐसा हुआ नहीं होगा सवाल ये है कि रिश्ते की बुनियाद इतनी हल्की अब क्यों है कि हर वो बात जो बंद कमरे होती है अदालत तक लाया जाता है। नारी को कहा जाता है कि अब वो कमजोर नहीं है तो फिर क्यों खुद पर भरोसा नहीं है क्यों अदालत का दरवाजा खटखटाया जा रहा है । हम अपने रिश्ते तो खुद बनाते है फिर थोड़ा सा बिगड़ने पर बाजार में क्यों लेकर आते है । क्या रिश्ते अब बाजार में मिलने लगे है शायद नहीं लेकिन बिकने जरूर लगे है । मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं की अगर हम महिलाएं मजबूत होने का दावा करते है तो सबसे पहले हमें हमारे रिश्ते को मजबूत करना होगा फिर उसके लिए उसमें भावना संवेदना के साथ साथ वो अधिकार भी लगाना चाहिए जो हमें दिए गए है । शायद मेरे विचार सभी से मेल न खाएं लेकिन मैं तो यही जानती हूं कि खुद के अंदर इतनी gravity हो कि अपने से जुड़ी हर चीज का खयाल हम खुद रख सके तब शआयद सही मायने में हम मजबूत कहे जाएगें।tulika singhhttps://www.blogger.com/profile/02867611147661261446noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8926392925894085311.post-47005579433879192092007-12-12T14:20:00.000+05:302007-12-12T14:20:00.000+05:30बलात्कार की बात सुनकर या पढ़कर हँस सके वे महिलाएँ ...बलात्कार की बात सुनकर या पढ़कर हँस सके वे महिलाएँ तो महान ही होंगी। शादी का मतलब यह नहीं कि पुरुष को बलात्कार का अधिकार मिल गया। विवाह के भी नियम होते हैं, कसमें होती हैं, भावनाएँ और संवेदानाएँ होती हैं। और अगर किसी महिला को ऐसा लगता है कि उसका बलात्कार हुआ तो उसे न्यायालय में जाने का पूरा हक है। यह महिलाओं के हित में ही है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04632599275349561848noreply@blogger.com