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Sunday, September 27, 2009

लो क सं घ र्ष !: मोहित असुरो को कर ले...

अरी ! युक्ति तू शाश्वत , मोहिनी रूप फिर धर ले अमृत देवो को देकर, मोहित असुरो को कर ले बुद्धि कभी, चातुर्य कभी, विधि तू कौशल्य निपुणता युग-तपन शांत करने को, है कैसी आज विवशता कल्याणी शक्ति अमर ते , निज आशा वि्स्तृत कर दो, वातायन स्वस्ति विखेरे , महिमामय करुणा वर दो डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

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